Sanju Samson: टी20 फॉर्मेट के सबसे चहेते इंडियन प्रीमियर लीग के 16वें सत्र चर्चा हर किसी की जुबां पर है। विश्व क्रिकेट में टी20 क्रिकेट की लोकप्रियता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है, जिसमें आईपीएल एक ऐसा टूर्नामेंट बन गया है, जो टी20 फॉर्मेट का सिरमौर है, यहां दुनिया भर के नामी क्रिकेटर्स खेला करते हैं, जहां हर पल नई तरह की चुनौती सामने होती है। इस मेगा टी20 लीग में खेल रही टीमों में सभी एक से बढ़कर एक हैं, जिनका संतुलन और मजबूती कुछ ऐसी है कि कोई भी टीम किसी को भी मात देने का माद्दा रखती है। कोई भी टीम किसी से भी कम नहीं है।
लेकिन इन 10 टीमों में सबसे अलग, सबसे खास एक टीम ऐसी है, जो ना सिर्फ पॉइंट टेबल पर, बल्कि मैदान में भी सबसे अलग नजर आ रही है। हम यहां बात कर रहे हैं राजस्थान रॉयल्स की…. अपने पहले ही मैच के साथ ही, राजस्थान रॉयल्स ने साबित कर दिया है कि वह इस बार खिताब को जीतना ठान चुकी है। इस बेमिसाल टीम के कप्तान, संजू सैमसन ने एक मुट्ठी की तरह अपनी टीम को बाँधे रखा है, जो अपने खिलाड़ियों को अपना सबसे बेस्ट देने के लिए हर वक्त बखूबी प्रेरित करते हैं और इसका निखार मैदान में साफ तौर पर दिखाई देता है।
एक शांत, किसी भी परिस्थितियों से घबरनाएं बिना संजू जिस तरह के लीडर हैं जो ठान लेते हैं, उसे बोलने नहीं बल्कि करके दिखाने में विश्वास करते हैं। वो अभी भले ही गिनती के ही इंटरनेशनल मैच खेले हो, वो भले ही अभी 27 बरस के हो लेकिन अपनी टीम के लिए एक मार्गदर्शक रहे हैं। कभी भी अपनी टीम के विश्वास से संजू ने खुद को डगमगाने नहीं दिया और हमेशा सभी को प्रोत्साहित करते रहे। उनकी नेतृत्व शैली ने एक मिसाल कायम की है, जो टीम की जीत और सफलता के रूप में साफ झलकती है।
चाहे वे जोस बटलर, ट्रेंट बोल्ट, युजवेन्द्र चहल या आर अश्विन जैसे सीनियर खिलाड़ी हों, या युवा ध्रुव जुरेल, यशस्वी जायसवाल, देवदत्त पडीक्कल या फिर रियान पराग हो, संजू के नेतृत्व में, वे सभी एक टॉप क्लास टीम राजस्थान रॉयल्स के रूप में पॉइंट टेबल के टॉप पर फलते-फूलते दिखाई दे रहे हैं। सैमसन अपने खिलाड़ियों को हमेशा ही आत्मविश्वासी होने की सीख देते हैं, और हर समय वे उनके साथ हैं, ऐसा आश्वासन देते हैं कि अपने दमदार कौशल के साथ उन्हें बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में महारत हासिल है।
सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ अपने मैच में, राजस्थान रॉयल्स की टीम के बल्ले ने जादू ही कर दिया, और इस तरह आईपीएल इतिहास में पॉवर प्ले ओवर्स में छठे सबसे ज्यादा रन बनाए। मैच में चहल ने 17 रन बनाकर 4 विकेट लिए और 300 विकेट लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बन गए। चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ मैच से पहले एक इंटरव्यू में चहल ने संजू को हर वक्त टीम का मनोबल ऊँचा रखने, अपना सर्वश्रेष्ठ देने, शांत रहकर पूरी टीम को एक सूत्र में बाँधे रखने की भूमिका की जमकर सराहना की।
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चलों अब सीएसके के खिलाफ मैच में लास्ट के कुछ ओवर्स की ही बात कर लें जहां एमएस धोनी और रवींद्र जडेजा की बल्लेबाजी के साथ सीएसके के पाले में जाने वाले मैच में, सैमसन ने मैच को ऐसा रुख दिया, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। संदीप शर्मा और युवा कुलदीप सेन में से लास्ट ओवर डालने के लिए इस सीजन का पहला मैच खेल रहे संदीप को चुना गया था, ताकि चेन्नई सुपर किंग्स के बेस्ट फिनिशर्स को रोकने के लिए कुछ अनुभव हो। दो ओवर्स में 40 रन की जरुरत थी, 19वें ओवर में 19 रन बने जिसके बाद अंतिम ओवर 21 रनों की जरूरत में से भी पहली 2 बॉल वाइड होने से 19 रन ही बचे।
इसके बाद धोनी ने 2 दनदनाते छक्के जड़ डाले और अब चेन्नई सुपर किंग्स को आखिरी तीन गेंदों में सात रन की जरूरत थी, यहां से किसी ने नहीं सोचा था कि धोनी जैसे लीजेंड को 7 रन बनाने से रोक सके, लेकिन संजू ने बड़े ही शांत मन से संदीप पर भरोसा किया। इसके बाद संदीप शर्मा ने आखिरी तीन गेंदों को यॉर्कर डालकर सामने वाली टीम को जीतने में कामयाब नहीं होने दिया और हारा हुआ मैच राजस्थान रॉयल्स की झोली में ले आए। यह जीत रॉयल्स के लिए बहुतत ही स्पेशल थी, क्योकि रॉयल्स को आखिरी बारर चेपॉक में 15 साल पहले यानी 2008 में जीत मिली थी।
अब कल के मैच की ही बात कर लें तो अहमदाबाद में उनके सामने थी डिफेंडिंग चैंपियन गुजरात टाइटंस की चुनौती, जिनसे रॉयल्स को पिछले सीजन लगातार 3 हार का सामना करना पड़ा था, उससे निकलना आसान नहीं था, लेकिन यहां एक बार फिर से कप्तान संजू टीम के लिए ढाल बनकर सामने आए। इस मैच में रॉयल्स को 178 रनों की जरूरत थी, जिसके जवाब में जबरदस्त फॉर्म में चल रहे बटलर और यशस्वी 2 रन के स्कोर तक पैवेलियन लौट गए। इसके बाद संजू ने धीरे-धीरे पारी को देवदत्त के साथ आगे बढ़ाया, लेकिन टीम 10 ओवर तक 50 से कुछ ज्यादा रन ही बना सकी। अब रनरेट का दबाव बढ़ता गया और अंतिम 8 ओवर में 112 रनों की जरूरत थी, 4 विकेट खो चुकी रॉयल्स की टीम के लिए आसान नहीं था।
लेकिन संजू की इच्छाशक्ति बहुत ही मजबूत थी, उन्होंने इसके बाद अपनी टीम को जीताने का बीड़ा उठाया और टी20 के चैंपियन बॉलर राशिद खान को ही टारगेट कर दिया, जिन्हें लगातार 3 गेंद में 3 छक्के जड़ डाले और गुजरात टाइटंस और उनके कप्तान हार्दिक के हौंसलें ही पस्त कर डाले। खुद कप्तान ने केवल 32 गेंद में 60 रन की पारी खेली। जिसमें 5 छक्के लगाए उनमें से भी 4 छक्के नंबर-1 टी20 बॉलर राशिद खान को… भले ही वो अपनी टीम को जीत की मंजिल तक पहुंचाने से पहले आउट हो गए। लेकिन आखिर में हेटमायर ने उनका बचा काम पूरा कर अपनी टीम को एक और जीत दिला दी और पॉइंट टेबल में मजबूत स्थिति में ला दिया।
सैमसन ने यह बताया है कि उन्हें मैदान के भीतर और बाहर बेहतर निर्णय लेने में मदद इसलिए मिलती है, क्योंकि वे अपने खिलाड़ियों की ताकत से अच्छी तरह वाकिफ हैं और साथ ही उनकी कमियों से पार पाने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं। यह देखना रोमांचक होगा कि सैमसन एक कप्तान और खिलाड़ी दोनों के रूप में आगामी समय में मैदान पर क्या जादू चलाते हैं।
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